
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल पहुंचे और देवी अहिल्याबाई सशक्तिकरण महासम्मेलन में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किया गया था, जहाँ अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर “महिला शक्ति का राष्ट्रीय घोषणापत्र” सुनाया गया।
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CM मोहन यादव ने पीएम मोदी का स्वागत किया और देवी अहिल्याबाई की प्रेरणादायक गाथा को दोहराया।
अहिल्याबाई की कहानी में आज की नारी की झलक
मोदी ने अपने संबोधन में देवी अहिल्याबाई को “भारत की असली रानी, जिनकी सत्ता में सेवा थी और शासन में सम्मान” बताया।
उन्होंने कहा, जब देश गुलामी की जंजीरों में था, तब अहिल्याबाई ने “सिंहासन पर नहीं, संकल्प पर राज किया।”
वो अकेली थीं, लेकिन मंदिरों को टूटने नहीं दिया, श्रद्धा को झुकने नहीं दिया।
“काशी विश्वनाथ में उनकी मूर्ति लगी है, लेकिन आज के नेताओं को भी उनकी नीति अपने मस्तिष्क में लगानी चाहिए।”
जनधन से जन-शक्ति तक: महिलाओं को मिली आर्थिक आज़ादी
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनधन योजना ने महिलाओं को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा, और अब 75% मुद्रा योजना के लाभार्थी महिलाएं हैं।
अब महिलाएं सिर्फ ATM पिन नहीं, अपनी किस्मत का कोड भी खुद तय कर रही हैं।
“पहले महिलाओं के लिए बैंक जाना उतना ही बड़ा काम था, जितना अब मर्दों के लिए किचन में घुसना लगता है।”
ऑपरेशन सिंदूर और ‘बेटियां बॉर्डर पर’
पीएम मोदी ने BSF की महिला जवानों की बहादुरी का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब बेटियां भी सीमा पर दुश्मनों को जवाब दे रही हैं।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को महिला सशक्तिकरण की मिसाल बताया।
“पहले बेटियां सिंदूर लगाती थीं, अब सिंदूर के नाम पर ऑपरेशन चला रही हैं। दुश्मन कांपे, भारत नारी बोले– जय भवानी!”
समुद्र से समर तक: महिलाएं NDA से Navy तक
मोदी ने बताया कि पहली बार महिला कैडेट्स NDA से पास आउट हुई हैं, और दो महिला नौसैनिकों ने 250 दिन की समुद्री यात्रा पूरी की है।
“बेटियां अब नाव चला रही हैं, और कुछ लोग अब भी राजनीति की नैया डुबोने में लगे हैं।” — तंज स्पष्ट था।
भविष्य की राजनीति: “वोट बैंक नहीं, सम्मान चाहिए”
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला वोटर्स को सिर्फ ‘गैस सिलेंडर और कंबल’ नहीं, सम्मान और समानता चाहिए।
उन्होंने राजनीतिक दलों को अप्रत्यक्ष रूप से नसीहत दी:
“महिला सशक्तिकरण घोषणापत्र में सिर्फ घोषणाएं न हों, कुछ ‘शक्ति’ भी दिखे। नहीं तो महिलाएं भी EVM में delete बटन दबा देंगी।”
अहिल्याबाई की विरासत को स्लोगन नहीं, सिस्टम में बदलें
पीएम मोदी का ये भाषण भावनाओं, उदाहरणों और भविष्य की दिशा का मिश्रण था।
महिला शक्ति की बात इतिहास से लेकर बॉर्डर तक फैली हुई थी, लेकिन असली सवाल अब भी यही रहेगा:
क्या ये बातें मंच तक रहेंगी, या वास्तव में सत्ता की गलियों तक जाएंगी?
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